सत्ता और विपक्ष के विधायक बने सरकार के लिए मजबूरी, गैरसैंण हमेशा रहेगा गैर
26 फरवरी से प्रदेश का बजट सत्र आहूत होने जा रहा है बजट सत्र इस बार लोकसभा चुनाव से पहले आहूत किया जा रहा है। वही सभी को उम्मीद थी कि पिछले साल की तरह ही इस बार भी प्रदेश का बजट सत्र ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण से होगा लेकिन रफ्तार हो चुका है कि इस बार का सत्र देहरादून से ही आहूत किया जाएगा इसकी वजह है 40 से ज्यादा विधायकों का लिखित रूप में गैरसैंण में विधानसभा का सत्र न करने की मांग करना। गैरसैंण में विधायक नहीं चाहते हैं कि इस बार का सत्र हो और इसके लिए उन्होंने बाकायदा सरकार को लिखित रूप में आग्रह किया है खुद इसकी जानकारी प्रदेश के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने दी। प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया की कई विधायकों ने पत्र लिखकर यह मांग की की गैरसैंण में बजट सत्र न कराया जाए और उन्हीं की भावनाओं का सम्मान करते हुए यह फैसला लिया गया है कि इस बार का बजट सत्र देहरादून में ही कराया जाएगा।
वहीं कर्णप्रयाग विधानसभा स्थित उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण में सत्र ना कराए जाने को लेकर विपक्ष लगातार सवाल खड़े कर रहा है भले ने विपक्ष के खुद कुछ विधायक नही चाहते की गैरसैंण में सत्र न हो। बावजूद विपक्ष इसे राज्य आंदोलन के शहीदों का अपमान बता रही है तो वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी भी सरकार के इस फैसले से सकते में है, राज्य आंदोलनकारी की हमेशा से मांग रही है कि कोई भी सत्र हो उसे देहरादून में आहूत ना किया जाए बल्कि सभी सत्र सरकार गैरसैण में ही आहूत करे।
उत्तराखंड कई विगत वर्षों से पलायन का दंश झेल रहा है, और ऐसे में विधानसभा सत्र गैरसैण में ना कराये जाने को लेकर खुद विधायक पलायनवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। अब गैरसैण में सत्र न कराए जाने को लेकर क्षेत्रीय विधायक अनिल नौटियाल का बयान सामने आया है
गैरसैण में सत्र ना कराए जाने को लेकर एक बड़ा कारण अत्यधिक ठंड भी बताया गया लेकिन क्षेत्रीय विधायक का कहना है गैरसैण में ऐसी स्थिति अभी नहीं है क्योंकि इस वर्ष ज्यादा बर्फबारी नही हुई है,ऐसी स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए, मौसम वहां पर बिल्कुल साफ है सत्र हो सकता था लेकिन किन परिस्थितियों में वहां पर सत्र नहीं हो रहा है यह मालूम नही है