हरिद्वार अर्धकुंभ 2027 को महाकुंभ की तर्ज पर मनाए जाने की उठी मांग

हरिद्वार में 2027 में होने वाले अर्धकुंभ को इस बार पूर्ण महाकुंभ की तरह भव्य और दिव्य बनाए जाने की मांग उठने लगी है। जिसकी पहल विश्व प्रसिद्ध श्री गंगा सभा हरिद्वार द्वारा की गई है। श्रीगंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने कहा कि इस बार संयोग की बात है कि जब हरिद्वार अर्धकुंभ और उज्जैन के सिंहस्थ महाकुंभ की तिथियां आपस में नहीं टकरा रही हैं। उन्होंने कहा कि जब हरिद्वार में अर्ध कुंभ मेले का आयोजन होता है इस समय उज्जैन में सिंहस्थ महाकुंभ का आयोजन होता है जिसकी वजह से हमारे अखाड़े ,साधु, संत और नागा बाबा हरिद्वार में अमृत स्नान और पेशवाई नहीं करते हैं, जब प्रयागराज में अर्धकुंभ होता है उसे समय कहीं पर भी महाकुंभ का आयोजन नहीं होता है ,जिस कारण अखाड़े और साधु संत प्रयागराज अर्ध कुंभ में भी पूर्ण कुंभ की तरह पेशवाई निकलते हैं और अमृत स्नान करते हैं।
उन्होंने कहां कि इस बार यह संयोग आया है कि जब यहां पर अर्धकुंभ 2027 होगा और उज्जैन में 2028 में महाकुंभ होगा, जिसका कारण 2021 का जो महाकुंभ हरिद्वार में हुआ था, वह 11 वर्ष बाद हुआ था जिसकी वजह से इस बार हरिद्वार अर्धकुंभ और उज्जैन सिंहस्थ कुंभ की तिथि आपस में नहीं टकरा रही है। जिसके चलते हमें प्रथम बार यह अवसर प्राप्त हो रहा है इस बार हरिद्वार अर्ध कुंभ में भी अमृत स्नान और पेशवाई होनी चाहिए और इसे पूर्ण कुंभ की तरह ही मनाया जाए।
कोरोना के चलते कहीं ना कहीं 2021 महाकुंभ की दिव्यता और भव्यता में कुछ कमी रह गई थी, जिसे हम 2027 अर्धकुंभ को पूर्ण कुंभ मनाकर पूरी कर सकते हैं,जिसके लिए सभी अखाड़ों साधु-संतों और सरकार से बातचीत की जाएगी, अगर कोई धार्मिक अड़चन नहीं आई तो हम सब मिलकर इस बार के अर्धकुंभ को पूर्ण कुंभ की तरह भव्यता के साथ मनाएंगे, यह इतिहास में पहली बार होगा।
तन्मय वशिष्ठ ,महामंत्री श्री गंगा सभा हरिद्वार