डिपार्टमेंट प्रीमियर लीग के चौथे सीजन का होने जा रहा है आगाज़, लेकिन पुलिस के खिलाड़ी क्यों हैं नाराज़

उत्तराखंड में हर साल डिपार्टमेंट प्रीमियर लीग होता है और डिपार्टमेंट डिपार्टमेंट प्रीमियर लीग में उत्तराखंड के सभी डिपार्टमेंट हिस्सा लेते हैं। वहीं इस बार एक और सीजन उत्तराखंड डिपार्टमेंट प्रीमियम लीग का होने जा रहा है लेकिन इस बार इस लीग में पुलिस की टीम नहीं दिखाई देगी। सूत्रों की माने तो डिपार्मेंट प्रीमियर लीग को संचालित करने वाली समिति ने यह फैसला लिया है। समिति से हमने बात की और इस विषय पर जानने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि
“Sports quota not allowed” क्यूंकि स्पोर्ट्स कोटा डिपार्टमेंट के कभी कभी खेलने वालो से मैच नहीं होता
स्टेट टीम/क्लोज टीम जो पूरा दिन प्रैक्टिस करती है वो भी डिपार्टमेंट लेवल से कई ऊपर की टीम है।
40 वर्ष से नीचे के प्लेयर्स ऑफ़ पुलिस डिपार्टमेंट प्लेयर्स से कई ज़्यादा फिट होते है और एक रीज़न और भी था की इस बार उन खिलाड़ी को मौक़ा देने की सोच थी , जिन खिलाड़ियों को पुलिस के बहुत ज़्यादा खिलाड़ी होने के कारण पिछले तीन संस्करणों में मौक़ा नहीं मिला। हमे बहुत से विभागों ने सुझाव भेजे थे।और ये नियम सर्फ इस संस्करण हेतु है।
वहीं पुलिस से जुड़े वह खिड़की जो अब 40 वर्ष से ज्यादा के हो चुके हैं उनका कहना है कि डिपार्टमेंट प्रीमियर लीग संचालित करने वाली समिति ने उन्हें बहुत ज्यादा फिट समझ लिया है जबकि अब हम इतने फिट नहीं है और हम लोग पूरा साल इस लीग का इंतजार करते हैं ऐसे में हमें भी मौका मिलना चाहिए।
पुलिस के खिलाड़ियों द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज
DCDCU उत्तराखंड क्रिकेट कमेटी द्वारा आयोजित DPL-4 टूर्नामेंट हेतु जारी नियमावली में यह उल्लेख किया गया है कि उत्तराखंड पुलिस विभाग के ऐसे खिलाड़ी जो स्टेट टीम में रहे हैं या हैं, उन्हें टूर्नामेंट में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी।
इस संबंध में निम्न बिंदुओं पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हैं
1. उत्तराखंड पुलिस क्रिकेट टीम कोई प्रोफेशनल टीम नहीं है। यह न तो किसी प्रकार की लीग में खेलती है, न रणजी या अन्य राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेती है। पुलिस टीम केवल विभागीय टूर्नामेंट के समय क्लोज होती है और वही परफॉर्म करती है।
2. जिस प्रकार अन्य विभाग जैसे UPCL, Irrigation आदि अपने-अपने जनपदों से खिलाड़ियों को एकत्रित करके टूर्नामेंट में प्रतिभाग करते हैं, उसी प्रकार पुलिस विभाग के खिलाड़ियों को भी अवसर मिलना चाहिए। केवल पुलिस विभाग के खिलाड़ियों को बाहर करना न्यायसंगत नहीं है।
3. कमेटी द्वारा दिया गया दूसरा कारण कि “पिछले टूर्नामेंट में कुछ खिलाड़ियों ने कमेटी के विरुद्ध गलत टिप्पणी की थी” भी तर्कसंगत नहीं है। यदि किसी भी खिलाड़ी ने अनुचित टिप्पणी की है, तो कार्यवाही व्यक्तिगत स्तर पर की जानी चाहिए, न कि पूरे विभाग के खिलाड़ियों को सामूहिक रूप से प्रतिबंधित किया जाए।