14 October 2025

“अब दौड़ सिर्फ मैडल की नहीं… ज़िंदगी की है” – 16 साल की एथलीट वंदना की आपसे एक करुण पुकार

0
IMG-20250702-WA0000

वंदना, एक नाम जो कभी एथलेटिक ट्रैक पर चमकता था। सिर्फ 16 साल की उम्र में उसने राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रौशन करने का सपना देखा था। सुबह की पहली किरण के साथ दौड़ शुरू होती थी उसकी, और हर शाम उसके गले में एक और पदक लटकता था। लेकिन आज… वह दौड़ बंद हो गई है।

 

आज वंदना न मैदान में है, न ट्रॉफी के पास। वह अस्पताल के बिस्तर पर है — ज़िंदगी की सबसे मुश्किल रेस में, जिसमें इनाम सिर्फ एक है: **ज़िंदा रहना।**

ये भी पढ़ें:   IAS और PCS अधिकारियों को हुए ट्रांसफर, देखें पूरी लिस्ट

 

क्या हुआ है वंदना को?

 

वंदना को हाल ही में **ब्रेन सिस्ट** (मस्तिष्क में एक खतरनाक गाँठ) की बीमारी हुई है। यह बीमारी न केवल उसके एथलेटिक करियर को खतरे में डाल रही है, बल्कि **उसके जीवन** को भी। इलाज के लिए ज़रूरी है:

 

क्रिटिकल ब्रेन सर्जरी

MRI स्कैन और जटिल टेस्ट

लंबा पोस्ट-सर्जरी उपचार और महंगी दवाइयाँ

 

इसका कुल खर्च ₹7 से ₹10 लाख तक हो सकता है — एक ऐसी राशि जो वंदना के आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे परिवार के लिए असंभव सी है।

ये भी पढ़ें:   आपदा प्रभावित क्षेत्रों सरखेत और घंतूकासेरा का स्थलीय निरीक्षण करते कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी।

वह सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं है… वह एक बेटी है, एक सपना है।

उसकी मां हर दिन अस्पताल में आंखों में आसुंओं के साथ यही कहती हैं –

हमने बेटी को दौड़ते देखा है… हारते कभी नहीं देखा… अब ज़िंदगी की इस दौड़ में उसे अकेला नहीं छोड़ सकते।

आप वंदना के लिए क्या कर सकते हैं?

ये भी पढ़ें:   उत्तराखंड कैबिनेट बैठक हुई खत्म, लिए गए कई महत्वपूर्ण फैसले

 

इस पोस्ट को शेयर कीजिए

नीचे दिए गए QR कोड को स्कैन कर के जो भी बन पड़े, दान कीजिए

उसकी आवाज़ बनिए… उसकी उम्मीद बनिए।

 

📞 संपर्क करें 9997281881

📌 एक छोटी सी मदद, किसी की पूरी ज़िंदगी बचा सकती है।

वंदना को सिर्फ इलाज नहीं चाहिए… उसे चाहिए आपकी इंसानियत, आपका साथ। चलिए मिलकर उसे फिर से दौड़ने का मौका दें – इस बार ज़िंदगी के लिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *