कांग्रेस ने बद्रीनाथ और मंगलौर में की जीत हासिल, आखिर क्या रहा कांग्रेस का समीकरण
बद्रीनाथ विधानसभा और मंगलोर विधानसभा में आज उपचुनाव के नतीजा सामने आ गए हैं। ओर दोनों ही सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों की जीत हुई है।
जहां बद्रीनाथ विधानसभा से लखपत बुटोला ने पूर्व विधायक राजेंद्र भंडारी को 5224 वोट से हराया तो मंगलौर में भी कांग्रेस के प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन ने निकटतम प्रत्याशी को 439 वोट से हराया।
दोनों ही उपचुनाव बीजेपी के लिए अप्रत्याशित रहे। बीजेपी सुबह तक जीत के दावे कर रही थी लेकिन दोपहर तक नतीजे सामने आ गए।
वैसे ये दोनों ही सीटें पहले से ही बीजेपी के पास नही थी, जहां बद्रीनाथ में कांग्रेस के विधायक राजेंद्र भंडारी थे जिन्होंने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा का दामन थाम लिया था। जिसकी वजह से उनके ऊपर दल बदल लेगा और उनकी विधि की चली गई। तो दूसरी तरफ मैंगलोर में पूर्व विधायक की मृत्यु की वजह से उपचुनाव हुआ पूर्व विधायक बसपा की सीट पर पहुंचे थे।
दूसरी तरफ कांग्रेस लगातार प्रदेश सरकार पर ये आरोप रही थी कि प्रदेश धनबल का प्रयोग करके दोनों ही चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है लेकिन आखिर में नतीजा कांग्रेस की ही पक्ष में आया है।
वहीं भाजपा के हार और कांग्रेस की जीत की जो सबसे वह थी दोनों ही प्रत्याशियों को जानता का पसंद न करना। खासतौर पर बद्रीनाथ की बात करें तो बद्रीनाथ में भाजपा के कैंडिडेट राजेंद्र भंडारी बहुत ही मजबूत प्रत्याशी हमेशा से माने जाते रहे हैं। लेकिन इसबार आम जनता उनसे खासतौर इसलिए नाराज नजर आ रही थी क्योंकि वह लगातार दल बदल करते आ रहे थे। साथी उनका एक ऑडियो भी वायरल हुआ था जिसमें वह ब्राह्मण समाज को गलत शब्द कहते हुए सुनाई दे रहे थे। एक और बड़ी वजह है उनकी हार की रही भाजपा के बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं का उनको पसंद ना करना। बीजेपी के कार्यकर्ता राजेंद्र भंडारी से खुद को जुड़ा हुआ महसूस नहीं कर रहे थे।
सबसे ज्यादा राजेंद्र भंडारी के लिए जो सही नही रहा, वो था उत्तराखंड के बड़े नेताओं खासतौर पर सीएम धामी और प्रदेश अध्यक्ष को अपने विश्वास में लिए बिना बीजेपी ज्वाइन करना। जिससे आम कार्यकर्ता बहुत ज्यादा नाराज थे।
दूसरी तरफ मंगलौर विधानसभा से बीजेपी के जो कैंडिडेट थे वो सीधे पैराशूट से उतरे थे इससे पहले वो अलग अलग राज्यों से चुना। लड़ चुके है। साथ ही वहां की आम जनता लगातार उनका विरोध भी कर रही थी इसके साथ ही बीजेपी का आम कार्यकर्ता भी उनसे खुद को जुड़ा हुआ महसूस नही कर रहा था।